डॉ. वीरेंद्र विश्वकर्मा का जन्म देवाधिदेव भगवान् महादेव की उपत्यका में स्थित देव-भूमि वाराणसी में 5 सितम्बर सन् 1980 को हुआ। शिव अंश की उपस्थिति ने छात्ररूपी डॉ. वीरेंद्र विश्वकर्मा को शिक्षा के साथ-साथ सनातन हिन्दू धर्म की विकृतियों एवं उस पर हो रहे प्रहार से व्यथित कर दिया। प्रारब्ध की प्राप्ति से प्रेरित होकर आपने 22 वर्ष की अवस्था में सांसारिक जीवन त्यागकर संन्यास ग्रहण कर लिया। आपने विज्ञान वर्ग से डॉक्टर शिक्षा ग्रहण की तथा छात्र जीवन में विभिन्न राष्ट्रवादी आन्दोलनों से जुड़ें रहें।
आज हमारा देश विकास की राह पर सरपट दौड़ रहा है, दिन-प्रतिदिन एक से बढ़कर एक कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। जब हमारा देश आजाद हुआ तब कांग्रेस ने सरकार बनाई और कहा कि देश से गरीबी हटेगी और रोजगार बढ़ेगा, किसान तरक्की करेगा, महिलाएं पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर तरक्की करेंगी और हर भारतीय नागरिक रोटी, कपड़ा और मकान से वंचित नहीं रहेगा। तब से लेकर आज तक सरकार बनती रही और बीच-बीच में अन्य राजनैतिक पार्टीयों ने भी सरकार बनाई लेकिन आम आदमी जहां आजादी के समय से ही दो पहर की सुकून की रोटी अपने छत के नीचे बैठकर खाने के लिए आज भी जुझ रहा है। आज भी वही नारा राजनैतिक पार्टी के लोग लगा रहे हैं कि मेरी सरकार बनेगी तो हर भारतीय के पास अपना रोटी, कपड़ा और मकान होगा, किसान की आय दोगुनी होगी, महिलायें तरक्की करेंगी और आपके बच्चों को हम रोजगार देंगे। लेकिन वास्तव में सबने अपनी बारी-बारी सरकार बनाई और तरक्की नेताओं और उनके चाहने वाले लोगो की हुई। आम आदमी आज भी ठगा सा महसूस कर रहा है। रोज नये-नये घोटाले सामने आ रहे हैं. अधिकारी पहले से ज्यादा भ्रष्ट हो गये हैं। देश तो तरक्की कर गया लेकिन आज भी सभी सुविधाएं और एशोआराम की जिन्दगी कुछ चन्द्र लोगों के यहां गिरवी पड़ी हुई हैं और हमलोग आज भी आस लगाये बैठे हैं कि हमारे साथ भी कुछ अच्छा होगा लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। आज हमारे घरों के बच्चे पढ़ तो लिए लेकिन उनके लिए रोजगार नहीं, किसान अपनी सारी जिन्दगी अन्न उपजा कर देश को प्रदान करता है लेकिन उनके लिए पेंशन नहीं, आम आदमी जीवन भर इसी आस की चक्की में पिसता रहा है कि अब मेरे साथ अच्छा होगा।अब हमें एक साथ मिलकर जात-पात से उपर उठकर अपने और अपने बच्चों के आने वाले कल के लिए अपनी आवाज बुलन्द करनी पड़ेगी। हमें अपने अधिकार एवं विकास के लिए किसी पर अब भरोसा नहीं करना है अपनी लड़ाई एकजुट होकर खुद लड़नी पड़ेगी। इस संकल्प के साथ मैंने और सभी मध्यमवर्गीय एवं निम्नवर्गीय साथियों ने मिलकर एक पार्टी का गठन किया, जिसका नाम है लोकजन सोशलिस्ट पार्टी । यह पार्टी हम सब मध्यम एवं निम्न वर्गीय भारतीयों को लेकर बनाई गई है। आजादी के बाद से ही सभी राजनैतिक पार्टियों ने हम लोगो को सिर्फ आश्वासन का लॉलीपाप ही दिया है। अब हमें एकजुट होकर अपनी लोकजन सोशलिस्ट पार्टी को मजबूत करके मध्यम एवं निम्न वर्गीय परिवार, किसान, युवा, बुजुर्ग व महिला हित की योजनाएं तैयार करनी होगी। आवाज बुलन्द करनी होगी, अगर अब चुके तो फिर हमारा आने वाला कल भी इसी अंधकार में पड़ा रहेगा।